Detailed Notes on hindi kahani short
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hindi kahani
शेरनी, जैसा कि हम जानते हैं, एक भयंकर, अभिमानी प्राणी है, और छोटे जानवरों को हमेशा दबाने की प्रवृत्ति रखती है। एक बार एक शेरनी जंगल में भाग रही थी, और तभी उसके पंजे में एक कांटा चुभ गया। क्योंकि शेरनी काफी अभिमानी थी तो उसने किसी से मदद न मांगने का फैसला किया। खून बहता जा रहा था, वह कमजोर हो रही थी।
एक दिन उनकें मन में विचार आया, उनहोंने सोचा कि क्यों न वे अपने शिष्यों में ही योग्य वर की तलाश करें.
उनका नाम हैं श्रीकृष्ण. कृष्ण की सुदामा के साथ मित्रता प्रसिद्ध हैं. हिन्दी में कवि नरोत्तम दास ने इस पर एक खंड काव्य की रचना भी की हैं.
इन सब बातों का उमा पर कोई असर नही था. जैसे ही बया कोई घौसला बनाती वह उन्हें फिर से गिराकर स्वयं को आनन्दित महसूस करती, मगर बया भी कहाँ हार मानने वाली थी.
...... कल की छुट्टी है.......कल की छुट्टी है........ ...
समदा रे कांठे ब्याई म्हारा बीर – टमरकटूँ
तब वह कुरज उन बच्चों के चुग्गे की खोज में उड़ी. उड़ते-उड़ते उन्हें तोते के पंख जैसा हरा खेत नजर आया.
खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ भी आपके पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार करें।
एक रात को सोते वक्त उस लड़के ने एक स्वप्न देखा और सपने में ही तेज आवाज में चिल्लाया- ”ओह मेरा भाग्य”.
वहां मिष्ठान के भरे थाल पहुचा दिए गये. प्रजापति दानवों के कमरे में गये.
महात्मा जी को देखकर उनमें से एक व्यक्ति बोला- महात्मन ! हम दोनों भाई हैं. हमारे पिता ने मरते समय अपनी सम्पति का जो बंटवारा किया था, उसके अनुसार इस भूमि का मालिक मैं हूँ, फिर भी यह व्यर्थ में झगड़ा कर रहा हैं.
कुछ समय बाद वहा से ऊंटों का झुण्ड गुजरा. कुरज ने ह्रदय चिर देने वाली करुण स्वर में विनती की.
लड़का शांत स्वर में कहने लगा- सेठजी कोई बात नही, बस यूँ ही कर रहा था.